गलत घुटने का ऑपरेशन: हाईकोर्ट ने चिकित्सा लापरवाही की जांच के दिए आदेश

बिलासपुर

ईएसआईसी योजना के तहत उपचार करा रही एक गरीब महिला के साथ हुई गंभीर चिकित्सीय लापरवाही को लेकर हाई कोर्ट ने नाराजगी जताई है। अदालत ने बिलासपुर के लालचंदानी अस्पताल और आरबी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में किए गए गलत घुटने के ऑपरेशन को लेकर पूर्व गठित जांच समिति की रिपोर्ट को खारिज कर दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि समिति न तो नियमों के तहत गठित थी और न ही इसकी प्रक्रिया वैध थी। कलेक्टर को अब नई उच्चस्तरीय समिति बनाकर चार माह में जांच पूरी करने के निर्देश दिए गए हैं।

ईएसआईसी योजना के तहत दयालबंद निवासी शोभा शर्मा का उपचार पहले लालचंदानी अस्पताल में शुरू हुआ। बाद में उन्हें ऑपरेशन के लिए आरबी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस भेजा गया। आरोप है कि डॉक्टरों ने बाएं घुटने की जगह गलती से दाएं घुटने का ऑपरेशन कर दिया। इस गंभीर भूल पर आपत्ति जताए जाने के बाद बिना पूरी तैयारी और आवश्यक जांच के जल्दबाजी में बाएं घुटने का भी ऑपरेशन कर दिया गया।

चलने-फिरने में असमर्थ हो गई
दोनों ऑपरेशनों के बाद भी उनकी समस्या खत्म नहीं हुई और स्थिति बिगड़ती गई, जिससे वे सामान्य चलने-फिरने और काम करने में असमर्थ हो गईं। इस मामले की शिकायत पर चार सदस्यीय जांच समिति गठित की गई थी, जिसने दोनों अस्पतालों को क्लीन चिट दे दी। हाई कोर्ट ने पाया कि यह समिति न तो विधिपूर्वक गठित थी और न ही इसका अध्यक्ष डिप्टी कलेक्टर स्तर का अधिकारी था, जो नियम 18 में अनिवार्य है।

चार महीने में जांच पूरी करने को कहा
कोर्ट ने कलेक्टर को निर्देश दिया है कि वह नई उच्चस्तरीय जांच समिति का गठन करें और चार माह में जांच पूरी करें। पीड़िता ने अदालत को बताया कि आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण न्याय की लड़ाई लड़ना संभव नहीं था, लेकिन प्रो बोनो कानूनी सहायता मिलने से वे कोर्ट तक पहुंच सकीं। चिकित्सीय लापरवाही के कारण वे आज भी सामान्य दैनिक कार्य करने में असमर्थ हैं।