जिम्मेदार बेपरवाह, सड़क पर एलईडी हेडलाइट्स के साथ दौड़ रहे हैं हजारों ‘गाड़िया’

रायपुर: राजधानी में बड़ी संख्या में हाई इंटेंसिटी एलईडी हेडलाइट वाले वाहन दौड़ रहे हैं, जो कई बार दुर्घटनाओं का कारण भी बन रहे हैं। शहर में हर दूसरा व्यक्ति अपने वाहन को हाई बीम पर चलाता है। ऐसे में एलईडी हेडलाइट की तेज रोशनी से वाहन चालकों के सामने कुछ देर के लिए अंधेरा छा जाता है। इससे दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है। रात के समय वाहन चालकों को किसी भी दुर्घटना से बचने के लिए विशेष सावधानी बरतनी पड़ती है। इसके बाद भी शहर में कई वाहन चालक नियमों के विरुद्ध तेज गति से वाहन चलाते हैं। इसके बावजूद परिवहन विभाग और ट्रैफिक पुलिस इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। वहीं, लंबे समय तक तेज रोशनी में रहने से आंखों की स्थायी बीमारी भी हो सकती है। 

तेज रोशनी बन रही दुर्घटनाओं का कारण

वाहन को आकर्षक बनाने और अधिक दूरी तक रोशनी फैलाने के लिए वाहन मालिक बाजार से तरह-तरह की एलईडी और डीआरएल लाइटें लगवाते हैं। इनकी तेज रोशनी से सामने से आ रहे वाहन चालकों की आंखें कुछ देर के लिए चौंधिया जाती हैं, जिससे दुर्घटना होने की आशंका बनी रहती है। शहर में रात के समय होने वाली दुर्घटनाओं का यह भी एक मुख्य कारण है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार, हर साल होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में से औसतन 43% शाम 6 बजे से 12 बजे के बीच होती हैं। इसका मुख्य कारण हाई बीम और रोड लाइट की कमी माना जाता है। शहर में कई जगहों पर रोड लाइट की समस्या है और हाई बीम पर चलने वाले वाहन इस समस्या को और बढ़ा देते हैं।

60 वोल्ट से अधिक और हाई बीम वाले बल्ब अवैध

नियमों के अनुसार, किसी भी वाहन की हेडलाइट में 60 वॉट से अधिक का बल्ब नहीं लगाया जा सकता, चाहे वह एलईडी हो या साधारण। कार निर्माता कंपनियां भी वाहनों में इस सीमा से अधिक बल्ब नहीं लगाती हैं। केवल वही वाहन वैध हैं, जिनमें कंपनी द्वारा डीआरएल लगाए गए हों।अगर कोई अपने वाहन में बाजार से डीआरएल लाइट खरीदकर लगाता है, तो यह अवैध है। ऐसे में 10,000 रुपये तक का चालान किया जा सकता है। यातायात नियमों के अनुसार, शहरी क्षेत्रों में हाई बीम पर हेडलाइट लगाकर वाहन चलाने की अनुमति नहीं है।