बिलासा एयरपोर्ट के लिए जल्द भूमि का नामांतरण नहीं होने पर आंदोलन तेज करने की चेतावनी

बिलासपुर। हवाई सुविधा जन संघर्ष समिति ने राज्य सरकार से मांग की है कि 4ष्ट एयरपोर्ट के निर्माण और रनवे विस्तार के लिए सेना के नाम दर्ज 287 एकड़ भूमि का नामांतरण विमानन विभाग और बिलासपुर एयरपोर्ट के नाम कर तत्काल कब्जा दिलाया जाए। समिति ने चेतावनी दी है कि यदि 15 दिनों के भीतर डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करने का टेंडर जारी नहीं हुआ, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।

हाई कोर्ट के निर्देश और सेना की भूमिका
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने पहले ही स्पष्ट निर्देश दिया है कि एयरपोर्ट विस्तार के लिए दी गई सहमति को सेना वापस नहीं ले सकती। खासकर तब, जब सेना द्वारा बिलासपुर में किसी भी तरह का प्रोजेक्ट रद्द कर दिया गया है और जमीन पिछले 12 वर्षों से खाली पड़ी है। समिति ने बताया कि केंद्रीय मंत्री तोखन साहू ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से इस मामले में चर्चा की थी, लेकिन बिलासपुर में मौजूद सेना के अधिकारी अब भी मार्केट रेट पर भुगतान की मांग कर रहे हैं। समिति का कहना है कि इतने लंबे समय तक जमीन पर कोई कार्य न होने के कारण सेना को ऐसी मांग करने का अधिकार नहीं है।

समिति की मांग और चेतावनी
हवाई सुविधा जन संघर्ष समिति ने राज्य सरकार से आग्रह किया है कि सेना के नाम दर्ज 1012 एकड़ भूमि में से 287 एकड़ जमीन का नामांतरण तत्काल किया जाए। समिति ने स्पष्ट किया कि बिना इस जमीन के बिलासपुर एयरपोर्ट पर किसी भी तरह का विकास कार्य संभव नहीं होगा। इसके साथ ही, समिति ने 4ष्ट एयरपोर्ट के लिए ष्ठक्कक्र तैयार करने का टेंडर 15 दिनों के भीतर जारी करने की मांग की। यह कार्य पिछले तीन महीनों से अटका हुआ है, जबकि जमीन की उपलब्धता सुनिश्चित है।

धरना प्रदर्शन जारी
समिति का महाधरना आज भी जारी रहा। इसमें अनिल गुलहरे, बद्री यादव, रवि बनर्जी, राकेश शर्मा, चित्रकांत श्रीवास, मोहन जायसवाल, समीर अहमद, केशव गोरख, मनोज श्रीवास, महेश दुबे, दीपक कश्यप, प्रेमदास मानिकपुरी, संतोष पीपलवा, प्रकाश बहरानी, अमर बजाज, आशुतोष शर्मा, शेख अल्फाज, सुदीप श्रीवास्तव सहित कई अन्य लोग शामिल हुए। समिति ने राज्य सरकार और सेना से मिलकर इस समस्या का समाधान निकालने का आह्वान किया, ताकि बिलासपुर एयरपोर्ट के विस्तार का सपना साकार हो सके।