तीन राज्यों में गूंजेगी मप्र के 15 टाइगरों की दहाड़

भोपाल। मध्य प्रदेश ऐसा राज्य है, जहां पर देशभर में सर्वाधिक टाइगर पाए जाते हैं। इसके अलावा प्रदेश में लगातार इनका कुनबा बड़ रहा है। ऐसे में अब मप्र 15 टाइगर दूसरे राज्यों को दिया जाना तय किया गया है। जहां पर वे अपना कुनबा बढ़ाएंगे। फिलहाल तीन प्रदेश को टाइगर देने का फैसला सरकार ने किया है।  यह वे राज्य हैं, जिनके द्वारा मप्र से टाइगर दिए जाने की मांग की गई थी। इनमें छत्तीसगढ़, उड़ीसा और राजस्थान शामिल हैं। इन तीनों राज्यों को टाइगर एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत दिए जा रहे हैं।

दरअसल कई राज्यों में बाघों की कमी है। ऐसे राज्य अपने यहां बाघों की संख्या बढ़ाने के प्रयास कर रहे हैं। प्रदेश से जिन तीन राज्यों को टाइगर दिए जा रहे हैं, उन राज्यों की भौगोलिक स्थिति का अध्ययन भी किया जाएगा। जहां टाइगर भेजे जाएंगे, वहां के रहवास में वे रह सकते हैं या नहीं? यह भी देखा जाएगा। इसके अलावा टाइगर को भेजे जाने का सारा खर्च संबंधित राज्यों को उठाना पड़ेगा। हाल ही में गुजरात के चिडिय़ाघर से दो लॉयन का जोड़ा भोपाल के वन विहार लाया गया है। इसके बाद सरकार एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत दूसरे राज्यों को टाइगर देने के लिए सहमति दी गई है। इन्हें देने के बाद इन राज्यो से मप्र को भी दूसरे वन्य प्राणी मप्र को मिल सकेंगे।

तीन रिजर्व से भेजे जाएंगे यह टाइगर  
बांधवगढ, पैंच या कान्हा टाइगर रिजर्व से ये बाघ तीनों राज्यों को भेजे जाएंगे। वन विभाग ने टाइगर रिजर्व प्रबंधन से भी भेजे जाने वाले बाध चिन्हित करने के लिए कह दिया है। गौरतलब है कि प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में इस समय सबसे ज्यादा टाइगर हैं। ऐसे में बाघों के बीच टेरेटरी को लेकर आपसी संघर्ष भी होने लगा है। इसको देखते हुए बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से ज्यादा से ज्यादा बाघों को दूसरे राज्यों में भेजा जा सकता है। इसकी शुरुआत नए साल में होगी।

गेंडे और किंग कोबरा  लाए जाएंगे
मप्र से दूसरे राज्यों को टाइगर दिए जा रहे है। एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत दूसरे राज्यो से अन्य वन्य प्राणियों को लाया जाएगा। प्रदेश टाइगर, तेंदुआ, घडिय़ाल और अब चीता प्रदेश भी है। इसके साथ ही अब प्रदेश के जंगलों में जल्द एक सींग वाले गेंडे यानी राइनो भी दिखाई देंगे। वन विभाग इसकी कार्ययोजना तैयार कर रहा है। गैंडों के लिए अनुकूल आवास तलाशने के लिए वन विभाग ने देहरादून न के वन्यजीव संस्थान से मदद मांगी है। इसके लिए भारतीय वन्यजीव संस्थान को पत्र लिखा गया है। इसके अलावा किंग कोबरा को भी ट्रांसलोकेट किया जाएगा।

प्रदेश में भी होगी पुनस्र्थापना
प्रदेश के कुछ टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या ज्यादा है, तो कुछ वनक्षेत्रों में कम बाघ है। इसको देखते हुए इनकी पुनस्र्थापना भी की जा रही है। इसके तहत शिवपुरी के माधव राष्ट्रीय उद्यान में 5 बाघों की पुनस्र्थापना की जानी है। भारत सरकार के पर्यावरण वन जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और राष्ट्रीय राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण से अनुमति मिल चुकी है। अब तक 2 बाघों को यहां भेजा जा चुका है।