अब संघ प्रमुख की शरण में जाएंगे श्रमिक-आउटसोर्स कर्मचारी

भोपाल । न्यूनतम पुनरीक्षित वेतन और सरकारी कर्मचारियों को दी जाने वाली तमाम सुविधाएं न मिलने से आहत आउटसोर्स कर्मचारी एवं श्रमिक अब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत की शरण में जाएंगे। ऑल डिपार्टमेंट आउटसोर्स अस्थाई कर्मचारी संयुक्त मोर्चा ने तय किया है कि फरवरी में नागपुर जाकर श्रमिकों के प्रति मध्य प्रदेश सरकार का रवैया बताया जाएगा। मोर्चा के अध्यक्ष वासुदेव शर्मा ने कहा कि ऐसा लगता है कि मध्य प्रदेश में जमीदारी प्रथा फिर से लौट आई है। तभी तो ग्राम पंचायतों में चौकीदारों,पंप आपरेटरों, भृत्य, सफाई कर्मियों से 2-3 हजार रुपए महीने में काम कराया जा रहा है।
शर्मा ने बताया कि प्रदेश में चतुर्थ एवं तृतीय श्रेणी के कर्मचारियों के साथ व्यापक स्तर पर अन्याय हो रहा है, यह अन्याय अंग्रेजी हुकूमत, जमीदारी प्रथा की याद दिलाता है। सरकारी विभागों का कंपनीकरण अंग्रेजी राज की वापसी जैसा है, इसीलिए इस अन्याय की जानकारी आरएसएस प्रमुख को देना जरूरी हो गया है। उनसे चतुर्थ एवं तृतीय श्रेणी कर्मचारियों के साथ हो रहे अन्याय को समाप्त कराने का आग्रह करेंगे। साथ ही सरकारी विभागों का कंपनीकरण रुकवाने एवं पंचायती राज व्यवस्था को रोजगारन्मुखी बनाए रखने की मांग करेंगे। उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायतों में ठीक वैसी ही स्थिति हो गई है जैसी आजादी से पहले जमीदारी प्रथा में हुआ करती थी। जिसमें काम करने वाले को तुच्छ सा मेहनताना दिया जाता था। शर्मा ने कहा कि आज गांव सबसे अधिक अन्याय के शिकार हैं और ग्रामीण जनता के बीच गरीबी बढ़ रही है, जिसका कारण है ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगारों का समाप्त हो जाना। मनरेगा लगभग ठप है, इस कारण ग्रामीण मजदूरों को काम नहीं मिल रहा है और वे दूसरे जिलों में पलायन को मजबूर हैं। जिन्हें पंचायती राज के तहत काम मिला है, उन्हें 2-3 हजार रुपए दिए जा रहे हैं, वह भी सरपंच सचिव की मेहरबानी पर। इसी तरह मनरेगा में काम कराने वालों को भी कोई मासिक वेतन नहीं मिलता है। अन्याय दूसरे सरकारी विभागों में काम करने वाले आउटसोर्स कर्मचारी, ठेका श्रमिकों के साथ भी हो रहा है। तृतीय-चतुर्थ श्रेणी की सारी नौकरियां आउटसोर्स, अस्थाई की जा चुकी हैं। इन कर्मचारियों को भी इतना वेतन मिलता है कि परिवार का ठीक से पेट भी न भर सके। ऐसा लग रहा है कि सरकारी विभागों में सिर्फ अधिकारी सरकारी हैं, बाकी सभी कर्मचारी ठेके पर हैं। शर्मा ने बताते हैं कि 20 साल से मप्र में चतुर्थ श्रेणी के पदों पर भर्ती नहीं हुई, चपरासी, माली, ड्राइवर, चौकीदार, वार्डवाय, सफाईकर्मी की नौकरी सरकार ने नहीं दी है, इसी तरह सरकार के पास खुद का कंप्यूटर आपरेटर तक नहीं है।