नई दिल्ली । दिल्ली की हाई प्रोफाइल सीटों में पुरानी दिल्ली की बल्लीमारान सीट भी शामिल है। कभी कांग्रेस का गढ़ रही सीट अभी आम आदमी पार्टी के पास है। सीट की एक बड़ी खासियत यह है कि इस सीट से जीत दर्ज करने वाले विधायक को दिल्ली मंत्रिमंडल में जगह मिलती है। 2015 से इस सीट पर आप का कब्जा है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) आज तक यह सीट जीत नहीं सकी है, लेकिन इस बार भगवा दल ने कमल बागड़ी को उम्मीदवार बनाया है। बागड़ी युवा और निगम पार्षद हैं। वहीं कांग्रेस ने अपने पुराने चेहरे और पूर्व मंत्री हारुन यूसुफ पर फिर से दांव लगाया है। वहीं आप ने दिल्ली सरकार में मंत्री इमरान हुसैन को मौका दिया हैं।
इस सीट को जीतने के लिए तीनों दलों ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है। जानकार मानते हैं कि सीट पर मुकाबला रोचक और त्रिकोणीय मुकाबले में फंसा हुआ है। यह सीट मुस्लिम बहुल है। मुस्लिम मतदाताओं की एकजुटता सीट पर जीत और हार तय करने में बड़ी भूमिका निभाती है। जानकारों का मानना है कि इस चुनाव में आप और कांग्रेस दोनों के उम्मीदवार मुस्लिम समुदाय से हैं। इसमें यदि मुसलमान वोटरों में बिखराव हुआ, तब इसका फायदा भाजपा को मिल सकता है। भाजपा भी मुस्लिम वोटों में सेंधमारी की कोशिश कर रही है। कहा जा रहा है कि मुस्लिम वोटर जिसके पक्ष में लामबंद होते हैं, उसकी जीत की राह आसान हो जाएगी।
बल्लीमारान सीट पर मतदाताओं की कुल संख्या 153231 है। इसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 83202 और महिला वोटरों की संख्या 70013 है। इस सीट पर थर्ड जेंडर भी 16 हैं। पिछले 2020 के चुनाव नतीजों में सीट पर आप उम्मीदवार इमरान हुसैन विजयी हुए। हुसैन को 64.87 फीसद यानी 65,612 वोट मिले। दूसरे स्थान पर भाजपा रही। भाजपा उम्मीदवार को 29.12 फीसद यानी 28,995 वोट और तीसरे स्थान पर रहने वाली कांग्रेस को 4.75 प्रतिशत वोट यानी 4797 वोट मिले। कांग्रेस ने इस बार अपना पूरा दम-खम लगा दिया है।
बल्लीमारान सीट पर 1993 से 2013 तक कांग्रेस का कब्जा रहा। सीट से कांग्रेस के यूसुफ लगातार जीत दर्ज करते आए लेकिन 2015 के चुनाव में आप ने पहली बार इस सीट से जीत दर्ज की। तब से यह सीट उसके पास है। घनी आबादी और तंग गलियों वाले बल्लीमारान के बाजार में दूर-दूर से लोग खरीदारी और कारोबार के लिए आते हैं। यहां जाम की समस्या आम बात है। सड़क किनारे पोलों पर लिपटे और लटके बिजली के तार यहां की खास पहचान हैं। जगह-जगह कूड़ा और कचरा भी समस्या है। लोग इसका प्रबंधन चाहते हैं।
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