छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल के घर पर ईडी की रेड, 14 जगहों पर छापेमारी
रायपुर। प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेश बघेल के आवास पर मनी लॉन्ड्रिंग मामले में छापेमारी कर रहा है। सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय एजेंसी कथित शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में छत्तीसगढ़ में 14 जगहों पर छापेमारी कर रहा है।
छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में शराब घोटाले से संबंधित 14 स्थानों पर तलाशी अभियान चलाया गया है। इस तलाशी का संबंध पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से जुड़ा हुआ है, जिसमें उनके बेटे चैतन्य बघेल का आवास भी शामिल है, साथ ही चैतन्य बघेल के करीबी सहयोगियों जैसे- लक्ष्मी नारायण बंसल उर्फ पप्पू बंसल के स्थानों पर भी कार्रवाई की गई है।
प्रवर्तन निदेशालय ने पाया कि चैतन्य बघेल शराब घोटाले से उत्पन्न अपराध की राशि के प्राप्तकर्ताओं में से एक हैं। जानकारी के अनुसार, इस घोटाले से कुल लगभग 2161 करोड़ रुपये की राशि की हेराफेरी की गई है, जो विभिन्न योजनाओं के जरिए अवैध तरीके से निकाली गई।
ईडी की रेड के बाद भूपेश बघेल के कार्यालय ने कहा, झूठे मामले को सात साल बाद कोर्ट में खारिज किए जाने के बाद, आज ईडी के मेहमानों ने पूर्व सीएम और कांग्रेस महासचिव भूपेश बघेल के भिलाई स्थित आवास पर प्रवेश किया। भूपेश बघेल के कार्यालय का कहना है कि अगर पंजाब में कांग्रेस को इस साजिश के जरिए रोकने की कोशिश की जा रही है, तो यह एक गलतफहमी है।
बता दें कि छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले की जांच में चैतन्य बघले का नाम भी सामने आया था। इससे पहले मई 2024 में ईडी ने कई बड़ी कार्रवाई की थी और शराब घोटाले से जुड़े आरोपियों की 18 चल संपत्तियां और 161 अचल संपत्तियां अस्थायी रूप से कुर्क की थीं। इन संपत्तियों की कुल कीमत 205.49 करोड़ रुपये थी।
वहीं शराब सिंडिकेट ने कथित तौर पर अपराध की आय के रूप में 2,100 करोड़ रुपये से ज्यादा की हेराफेरी की है। इसी मामले में राज्य सरकार के अधिकारियों और व्यापारियों समेत कई व्यक्तियों को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। ईडी छत्तीसगढ़ शराब घोटाले मामले की जांच-पड़ताल कर रही है। मामले को लेकर ED, ACB ने मामले में शिकायत दर्ज कराई है। दर्ज FIR में 2 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के घोटाले की बात कही है।
ईडी ने अपनी जांच में पाया कि तत्कालीन भूपेश सरकार के कार्यकाल में आईएएस अफसर अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी एपी त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के सिंडिकेट के जरिए शराब घोटाले को अंजाम दिया गया।