गिरीडीह में ठंड से बचने के लिए पुआल में सो रहे मां-बेटे की आग में जलकर मौत

गिरीडीह: झारखंड के गिरीडीह जिले के डुमरी थाना क्षेत्र के छछदो पंचायत के जिलिमटांड गांव में एक दिल दहला देने वाली घटना घटी. यहां एक मां और उसका बेटा जिंदा जलकर राख हो गए. यह दर्दनाक हादसा ठंड से बचने के लिए आग जलाने के कारण हुआ. कड़ाके की ठंड से बचने के लिए मां-बेटे ने पुआल के ढेर में रात बिताने का फैसला किया और पास ही आग जला ली थी, लेकिन आग की एक चिंगारी ने उनकी जिंदगी छीन ली.

जानकारी के अनुसार, नुनिया देवी और उनका बेटा बाबूचंद्र मुर्मू ठंड से बचने के लिए अपने घर से कुछ दूरी पर खलिहान में बने पुआल के घर में सोने गए थे. यह खलिहान एक तरह से पुआल से बना हुआ झोपड़ी जैसा घर था. आग की चिंगारी से पुआल में आग लग गई, जिसने तेजी से विकराल रूप ले लिया. आग इतनी तेज थी कि मां-बेटे को बचने का मौका भी नहीं मिला.

घटना की जानकारी मिलते ही डुमरी थाने की पुलिस मौके पर पहुंची और शवों को पुआल के ढेर से बाहर निकाला गया. शवों को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेजा गया. पुलिस इस हादसे की जांच कर रही है और यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या आग की चिंगारी से पुआल में आग लगी या फिर किसी अन्य कारण से यह हादसा हुआ. स्थानीय लोगों ने बताया कि नुनिया देवी और बाबूचंद्र मुर्मू बहुत ही गरीब थे और साधारण जीवन जी रहे थे. उनके पास इतने साधन नहीं थे कि वे अपनी जिंदगी को सुरक्षित रख सकें और इसी कारण उन्होंने पुआल के घर में सोने का विकल्प चुना.

यह हादसा यह भी दर्शाता है कि ठंड से बचने के लिए गलत तरीके से जलाए गए अलाव, पुआल या लकड़ी कभी-कभी जानलेवा हो सकते हैं. ठंड के मौसम में बहुत से लोग ऐसे असुरक्षित तरीके अपनाते हैं, जो जोखिम से भरे होते हैं. आग के साथ सतर्कता बरतनी चाहिए. खासकर जब लोग पुआल, लकड़ी और अन्य ज्वलनशील सामग्री के पास सो रहे हों, वर्ना बड़ा हादसा हो सकता है.